Powered By Blogger

Search This Blog

Friday, November 19, 2010

Kashmakash...

इनायतें बहुत हुई दिल से तुम्हारे,
चाहत के रंग में यूँ डूबे थे सारे...
हम इसी कशमकश में जीते रहे थे,
के तुम हमारे थे या... हम थे तुम्हारे...

तुम बेचैन बहुत थे के क्या हुआ है,
और हम हैरानी से चौंके थे सारे...
तुमने हमेशा इसी कशमकश में रखा,
के तुम हमारे थे या... हम थे तुम्हारे...

कुछ जिंदगी मेरी तुम ले गए थे,
कुछ खा गये थे यार हमारे...
पर अब तक कशमकश न हटी,
के तुम हमारे थे या...  हम थे तुम्हारे...

जब अंत-जुदाई हो गयी हमारी,
और बंट गए थे रास्ते हमारे...
तब जा के कशमकश उतरी, के...
न तुम हमसे थे न... हम थे तुम्हारे...




-Ashi

No comments:

Post a Comment